दशहरी, आम्रपाली C-63, लंगड़ा G-54, चौसा C-48 इन्हें आधुनिक तकनीक से हाइब्रिड रूप दिया गया है। यह रोपण करने के 2 साल बाद फूल (बौर) देना शुरू कर देता है। जिन्हें छुटाकर पौधे से अलग कर दिया जाता है तथा 3 साल बाद पहली फसल के रूप में 50-55 किलोग्राम प्रति पौधा पैदावार तथा 5 साल के बाद 6 से 8 कुन्तल तक पैदावार 50 से 60 साल तक ले सकते हैं। |
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अमरूद ;इलाहाबादी सफेदा-33, लखनऊ-49, सेविया-78 यह सब अलग-अलग प्रकार की हाइब्रिड प्रजाति हैं। परन्तु पैदावार तथा समय लगभग सामान्य हैं। रोपण के दो साल में ही फल देना शुरू कर देता है। जिन्हें तोड़कर हटा दिया जाता है तथा तीन साल बाद पहली फसल के रूप में 60 से 65 किलोग्राम प्रति पौधा पैदावार ले सकते हैं तथा 5 साल बाद 5 से 7 कुन्तल तक की पैदावार 25 से 30 साल तक ले सकते हैं। |
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आँवला (AF-52) यह उच्च तकनीक से तैयार होकर 2 साल में फूल देना शुरू कर देता है जो कि तोड़कर अलग कर दिये जाते हैं तथा 3 साल बाद 60 से 70 किलो तथा 4 से 5 साल बाद 5 से 6 कुन्तल प्रति पौधा पैदावार देता है। |
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किन्नू (WR-1) यह बहुत ही तीव्र गति से बढ़ता व फैलता है तथा 3 साल बाद ही 60 से 80 किलोग्राम तथा 4 से 5 साल बाद 3 से 4 कुन्तल प्रति पौधा पैदावार देता है। |
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