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जर्म प्लाज्म की शुद्धता को परखने के बाद पौधों को स्वीकृत किया जाता है।
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यह ऐसे बीजों का चुनाव करके तैयार किया जाता है इसमें नर प्रजाति बहुत कम पायी जाती है।
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इसका तना अन्दर से बिलकुल ठोस होता है। जिससे तेज हवाओं तथा आँधी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
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यह रोपण के 5 से 7 महीने बाद ही फल देना शुरू कर देता है तथा 5 साल तक लगातार पैदावार देता रहता है।
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पपीते का मुख्य उपयोग मुरब्बा तथा खाने हेतु अधिक उपयोग में लाया जाता है।
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पपीते का मुरब्बे में अधिक उपयोग होने तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार होने से मांग व मूल्यों में दिनों-दिन बढ़ोत्तरी होती जा रही है।
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एक एकड़ में एक बार पपीते के पौधे लगाकर बडे़ पैमाने में अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर
सकते हैं। जैसे एक एकड़ से 11 से 13 लाख रूपये।